Hindi Course A (2020)

Outside Delhi [Set-I]

निर्धारित समय 3 घण्टे अधिकतम अंक :80  

 सामान्य निर्देश :

निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका अनुपालन कीजिए—

(i) प्रश्न-पत्र चार खंडों में विभाजित किया गया है— क, ख,ग एवं घ। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। (ii) खंड-क में प्रश्न अपठित गद्यांश पर आधारित है।

(iii) खंड-ख में प्रश्न संख्या 2 से 5 तक प्रश्न व्याकरण के हैं।

(iv) खंड – ग में प्रश्न संख्या 6 से 10 तक प्रश्न पाठ्यपुस्तकों से हैं।

(v) खंड-घ में प्रश्न संख्या 11 से 13 तक प्रश्न रचनात्मक लेखन के हैं।

(vi) यथासंभव प्रत्येक खंड के प्रश्नों के उत्तर क्रम से लिखिए ।

(vii) उत्तर संक्षिप्त तथा क्रमिक होने चाहिए और साथ ही दी गई।शब्द सीमा का यथासंभव अनुपालन कीजिए ।

(viii) प्रश्न-पत्र में समग्र पर कोई विकल्प नहीं है । तथापि, कुछ प्रश्नों में आंतरिक विकल्प दिए गए है। ऐसे प्रश्नों में से केवल एक ही विकल्प का उत्तर लिखिए।

(ix) इनके अतिरिक्त, आवश्यकतानुसार, प्रत्येक खंड और प्रश्न के साथ यथोचित निर्देश दिए गए हैं।

खण्ड 'क'

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 10

पड़ोस सामाजिक जीवन के ताने-बाने का महत्त्वपूर्ण आधार है। दरअसल पड़ोस जितना स्वाभाविक है, हमारी सामाजिक सुरक्षा के लिए तथा सामाजिक जीवन की समस्त आनंदपूर्ण सम गतिविधियों के लिए वह उतना ही आवश्यक भी है। यह सच है कि पड़ोसी का चुनाव हमारे हाथ में नहीं होता, इसलिए पड़ोसी के साथ कुछ-न-कुछ सामंजस्य तो बिठाना ही पड़ता है। हमारा पड़ोसी अमीर हो या गरीब, उसके साथ संबंध रखना सदैव हमारे हित में होता है। पड़ोसी से परहेज करना अथवा उससे कटे-कटे रहने में अपनी ही हानि है, क्योंकि किसी भी आकस्मिक आपदा अथवा आवश्यकता के समय अपने रिश्तेदारों तथा परिवार वालों को बुलाने में समय लगता है। ऐसे में पड़ोसी ही सबसे अधिक विश्वस्त सहायक हो सकता है। पड़ोसी चाहे कैसा भी हो, उससे अच्छे संबंध रखने चाहिए। जो अपने पड़ोसी से प्यार नहीं कर सकता, उससे सहानुभूति नहीं रख सकता, उसके साथ सुख-दुख का आदान-प्रदान नहीं कर सकता तथा उसके शोक और आनंद के क्षणों में शामिल नहीं हो सकता, वह भला अपने समाज अथवा देश के साथ भावनात्मक रूप से कैसे जुड़ेगें। विश्व-बंधुत्व की बात भी तभी मायने रखती है, जब हम अपने पड़ोसी से निभाना सीखें।

(क) सामाजिक जीवन में पड़ोस का क्या महत्त्व है? [2]

(ख) पड़ोसी के साथ संबंध रखना हमारे हित में किस तरह से है? [2]

(ग) हमें पड़ोसी से निभाने के लिए क्या-क्या करना चाहिए? [2]

(घ) 'विश्वस्त सहायक' से क्या अभिप्राय है, पड़ोसी को विश्वस्त सहायक क्यों कहा गया है? [2]

(ङ) लेखक ने विश्व-बंधुत्व की बात किस संदर्भ में की है? [2]

(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए । [1] 

उत्तर- (क) पड़ोस सामाजिक जीवन के ताने-बाने का महत्वपूर्ण आधार है। हमारी सामाजिक सुरक्षा तथा सामाजिक जीवन की आनंदपूर्ण गतिविधियों के लिए भी पड़ोस अत्यंत आवश्यक है।

(ख) किसी भी आकस्मिक आपदा या आवश्यकता के समय रिश्तेदारों तथा परिवार वालों को बुलाने में समय लगता है, उस समय पड़ोसी ही हमारे काम आते हैं। इसलिए पड़ोसी के साथ संबंध रखना हित में हैं।

(ग) हमें अपने पड़ोसी के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार तथा भावनात्मक जुड़ाव रखना चाहिए। उनके सुख तथा आनंद के क्षणों में शामिल होना चाहिए तथा दुख में उनसे सच्ची सहानुभूति रखते हुए सहयोग प्रदान करना चाहिए।

(घ) विश्वस्त सहायक वह होता है जिस पर पूर्ण विश्वास किया जा सकता है। जिससे हम मुसीबत के समय आँख मूँदकर भरोसा कर सकें। किसी भी कठिनाई के समय हमारे रिश्तेदारों और मित्रों के आने से पूर्व एक अच्छा पड़ोसी ही हमारी सहायता करता है इसीलिए उसे विश्वस्त सहायक कहा गया है। 

(ङ) विश्व बंधुत्व की बात लेखक ने पड़ोसी से अच्छे संबंध निभाने के संदर्भ में कही है।

(च) सामाजिक जीवन में पड़ोसी का महत्व / सामाजिक जीवन में पड़ोस की महत्वपूर्ण भूमिका अथवा कोई अन्य उपयुक्त शीर्षक ।

खण्ड 'ख'

2. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए: [1 ×4=4]

(क) उसके एक इशारे पर लड़कियाँ कक्षा से बाहर निकलकर नारे लगाने लगीं। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)

(ख) उन्होंने जेब से चाकू निकाला और खीरा काटने लगे। (सरल वाक्य में बदलिए)

(ग) हालदार साहब को उधर से गुज़रते समय मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)

(घ) बालगोबिन भगत जानते थे कि अब बुढ़ापा आ गया है। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद लिखिए) 

उत्तर- (क) उसके एक इशारे पर लड़कियाँ कक्षा से बाहर निकलीं और नारे लगाने लगीं।

(ख) वे जेब से चाकू निकालकर खीरा काटने लगे।

(ग) जब हालदार साहब उधर से गुज़र रहे थे, तब उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया।

(घ) अब बुढ़ापा आ गया है। (संज्ञा उपवाक्य)

निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए: [1 ×4= 4]

(क) माँ द्वारा भिखारी को भोजन दिया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)

(ख) वह कालीन बुनता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)

(ग) आओ, अब चलते हैं। (भाववाच्य में बदलिए)

(घ) पुलिस के द्वारा चेतावनी दी गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)

उत्तर- (क) माँ ने भिखारी को भोजन दिया।

(ख) उसके द्वारा / उससे कालीन बुना जाता है।

(ग) आओ, अब चला जाए।

(घ) पुलिस ने चेतावनी दी। 

4. निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए: [1 ×4= 4]

(क) वीरों की सदा जीत होती है।

(ख) बच्चे की मुस्कान मनमोहक होती है।

(ग) प्रत्येक का अपना महत्त्व होता है।

(घ) चलते-चलते लड़खड़ाने पर सहयोगी उसे सँभालते हैं ।

उतर- (क) सदा - अव्यय, क्रिया-विशेषण, कालवाचक , 'जीत होती है' क्रिया का विशेषण |

     (ख) मुस्कान - भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्म कारक ।

     (ग) अपना सर्वनाम, निजवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, 'महत्व' - विशेष्य |

     (घ) चलते-चलते - रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, 'लड़खड़ाना' क्रिया का विशेषण |

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए: [1 ×4=4] 

(क) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में रस पहचानकर लिखिए: 

छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए।

मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए।

(ख) 'श्रृंगार रस' का एक उदाहरण लिखिए।

(ग) 'क्रोध' किस रस का स्थायी भाव है ?

(घ) विभाव किसे कहते हैं?

(ङ) हास्य रस का स्थायी भाव क्या है ?

उत्तर- (क) वीर रस ।

(ख) कहत नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात । भरे भौन में करत है, नैनन ही सों बात ॥

(ग) रौद्र रस ।

(घ) विभाव- रस उत्पत्ति और उद्दीपन के कारणों को विभाव कहते हैं। अर्थात् विभाव व्यक्ति के मन में स्थायी भाव को जागृत या उद्दीप्त करते हैं यह दो प्रकार के होते हैं- 1. आलंबन, 2. उद्दीपन ।

(ड़) हास / हँसी।

खण्ड 'ग'

6. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 2 × 3 = 6

मुफस्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फूँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नयी कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए टिकट सेकंड क्लास का ही ले लिया। 

गाड़ी छूट रही थी। सेकंड क्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकर, ज़रा दौड़कर उसमें चढ़ गए। अनुमान के प्रतिकूल डिब्बा निर्जन नहीं था । एक बर्थ पर लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक सफ़ेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे। सामने दो ताज़े- चिकने खीरे तौलिए पर रखे थे। डिब्बे में हमारे सहसा कूद जाने से सज्जन की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न का असंतोष दिखाई दिया। सोचा, हो सकता है, यह भी कहानी के लिए सूझ की चिंता में हों या खीरे जैसी अपदार्थ वस्तु के शौक करते देखे जाने के संकोच में हों।

उत्तर – (क) लेखक ने सेकंड क्लास के डिब्बे का टिकट यह सोचकर खरीदा था, कि डिब्बा पूरी तरह से खाली होगा उसमें कोई यात्री नहीं होगा। अतः आराम से बैठकर नई कहानी के विषय में सोच सकेंगे। साथ ही खिड़की से बाहर के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी ले सकेंगे।

(ख) लेखक का अनुमान था, कि डिब्बे में कोई यात्री नहीं होगा, परंतु उनके अनुमान के प्रतिकूल एक नवाबी स्वभाव वाले सफ़ेदपोश सज्जन डिब्बे में, बर्थ पर पालथी मारे बैठे थे।

(ग) डिब्बे में पहले से बैठे सज्जन की आँखों में लेखक के आने पर एकांत चिंतन में विघ्न का असंतोष दिखाई दिया । लेखक ने अनुमान लगाया कि या तो नवाब साहब किसी नई कहानी के विषय में सोचते हुए चिंतित हैं अथवा एक नवाब को खीरा खाते देख लिए जाने का संकोच उनके चेहरे पर आ गया है।

7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए: [ 2 × 4 = 8]

(क) 'पानवाला एक हँसमुख स्वभाव वाला व्यक्ति है, परंतु उसके हृदय में संवेदना भी है।' इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।

(ख) गर्मियों की उमस भरी शाम को भी बालगोबिन भगत किस प्रकार शीतल और मनमोहक बना देते थे ? (ग) फ़ादर बुल्के की मृत्यु से लेखक आहत क्यों था ?

(घ) मन्नू भंडारी के पिता ने अपनी आर्थिक विवशताएँ कभी बच्चों को क्यों नहीं बताईं होंगी ?

(ङ) बिस्मिल्ला खाँ जीवनभर ईश्वर से क्या माँगते रहे और क्यों? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर- (क) पानवाला एक खुशमिजाज़ व्यक्ति है, इसलिए वह कई बार चश्मेवाले का मज़ाक उड़ाता है। वह कैप्टन के प्रति व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी करता है, किंतु हृदय से वह उसकी देशभक्ति का सम्मान भी करता है। हालदार साहब द्वारा मूर्ति पर कोई चश्मा न होने का कारण पूछे जाने पर वह भावुक हो गया और अपनी आँखों को पोंछते हुए उसने कैप्टन की मृत्यु की सूचना दी।

(ख) बालगोबिन भगत अपने मधुर गायन से गर्मियों की उमस भरी शाम को शीतल कर देते थे। भगत अपने घर के आँगन में आसन जमा कर बैठ जाते और खंजरियों एवं करतालों जैसे वाद्ययन्त्रों को बजाकर भजन गाने लगते । गाँव के अन्य लोग भी उनके पीछे-पीछे पदों को दोहराते । धीरे-धीरे स्वर इतना ऊँचा हो जाता कि भगत भक्ति में लीन होकर संगीत प्रेमियों के साथ तन्मयतापूर्वक गीत गाकर नाचने लगते। इस प्रकार सम्पूर्ण वातावरण संगीतमय हो जाता था।

(ग) फादर करुणा और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थे। फादर और लेखक के बीच अत्यंत आत्मीय संबंध थे। उनकी मृत्यु ज़हरबाद से हुई। लेखक आहत था कि ऐसे विनम्र, मधुर त्यागी, आस्थावान व्यक्ति का अंत इतना पीड़ादायक क्यों हुआ ? जबकि उनका पूरा जीवन दूसरों को प्यार, अपनत्व और ममता का अमृत बाँटते बीता था|

(घ) लेखिका के पिता ने कभी बहुत वैभवशाली दिन देखे थे। वे बहुत अहंकारी थे। बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण उनका अहं और बढ़ गया, इसीलिए उन्होंने अपनी आर्थिक विवशताएँ कभी अपने बच्चों को भी नहीं बताई।

(ङ) प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त की नमाज़ में ईश्वर से सच्चे सुर की कामना करते थे, क्योंकि सुर ईश्वर का दिया वह वरदान है जो एक कलाकार को श्रोताओं से जोड़े रखता है। वे कला के अनन्य उपासक थे। उन्हें सीखने की तीव्र इच्छा थी, क्योंकि वे स्वयं को पूरी तरह से पूर्ण नहीं मानते थे । इससे उनकी विनम्रता, ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और सच्चे संगीत साधक होने की विशेषता पता चलती है।

8. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: [2 × 3 = 6]

बादल, गरजो!

घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ ! 

ललित ललित, काले घुँघराले, 

बाल कल्पना के से पाले,

 विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले ! 

वज्र छिपा, नूतन कविता 

फिर भर दो

बादल, गरजो !

(क) कवि बादलों से क्या आग्रह कर रहा है और क्यों ? 

(ख) बादलों का सौंदर्य स्पष्ट करते हुए बताइए कि उनकी तुलना किससे की गई है ?

(ग) कवि के अनुसार नूतन कविता कैसी होनी चाहिए ?

 उत्तर- (क) कवि बादलों से गर्जना करने के लिए कहता है, क्योंकि वह चाहता है कि बादल अपनी तीव्र गर्जना से वातावरण में उत्साह, पौरुष और क्रांति के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने के लिए जोश से भर दें।

(ख) बादल सुंदर, काले-काले घुंघराले हैं। कवि ने उनकी तुलना बाल कल्पना से की है, क्योंकि जिस प्रकार बच्चों की कल्पनाएँ मधुर होती हैं तथा पल-पल बदलती रहती हैं इसी प्रकार बादल भी बार-बार अपना रूप बदलते रहते हैं । वे स्थिर नहीं रहते ।

(ग) कवि के अनुसार नूतन कविता ऐसी होनी चाहिए जो जनमानस को क्रान्ति का संदेश देने वाली हो और मन में नवजीवन व चेतना का संचार करने वाली हो जिससे कविता के स्वर को सुन संपूर्ण संसार उत्साह से भर उठे ।

9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लगभग 30- 40 शब्दों में लिखिए: [2 × 4 = 8]

(क) परशुराम विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत किन शब्दों में करते हैं ?

(ख) 'छाया मत छूना ' कविता में 'जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया' के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?

(ग) 'यह दंतुरित मुसकान' कविता में 'बाँस और बबूल' किसके प्रतीक हैं ?

(घ) 'कन्यादान' कविता में माँ की सोच परंपरागत माँ से कैसे भिन्न है ?

(ङ) संगतकार की आवाज़ में हिचक क्यों सुनाई देती है ?

उत्तर- (क) परशुराम, विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत करते हुए कहते हैं कि यह बालक बहुत मंदबुद्धि, कुटिल और निरंकुश है। काल के वशीभूत होकर यह अपने कुल का घातक बन रहा है। यह सूर्यवंशी चंद्रमा का कलंक, अत्यंत उद्दंड और मर्यादारहित है। मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि क्षण भर में यह काल का ग्रास हो जाएगा फिर तुम मुझे दोष न देना।

(ख) कवि कहना चाहता है कि मनुष्य यश, मान-सम्मान, सुख और वैभव पाने के पीछे जितना दौड़ता है, उतना ही उससे दूर होता जाता है। इनको पाकर भी मनुष्य प्रसन्न नहीं रह सकता है।

(ग) कविता में बाँस और बबूल के पेड़ कठोर हृदय या निष्ठुर व्यक्तियों के प्रतीक हैं। इन प्रतीकों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि बच्चे की मधुर मुस्कान को देखकर कठोर से कठोर हृदय मानव भी सरस हो उठते हैं।

(घ) कन्यादान कविता की माँ, परंपरागत माँ से पूर्णतया भिन्न है। जहाँ परम्परागत माँ अपनी बेटी को सब कुछ सहकर कर्तव्य पालन करने की सीख देती है वहीं कविता में वर्णित माँ सामाजिक विकृतियों के प्रति जागरूक है। वह नारी शोषण के प्रति बेटी को सचेत एवं सजग करती है। वह उसे सबल बनने के लिए प्रेरित करती है।

(ङ) संगतकार प्रतिभावान होते हुए भी कभी मुख्य गायक से आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करता। वह जानबूझकर अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से नीचे रखने का प्रयास करता है। स्वयं को मुख्य गायक के पीछे रखने की इसी कोशिश में उसकी आवाज़ में एक हिचक सुनाई देती है।

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50- 60 शब्दों में लिखिए: [3 × 2 = 6]

(क) भोलानाथ संकट के समय में अपने पिता के पास न जाकर माता के पास क्यों जाता है? 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।

(ख) इंग्लैंड की महारानी के हिंदुस्तान आगमन पर अखबार क्या-क्या छाप रहे थे और रानी के आने के दिन वे चुप क्यों रह गए ?

(ग) सेवन सिस्टर्स वाटर फॉल' को देख लेखिका ने अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त किया है? 'साना-साना हाथ जोड़ि . पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर- (क) किसी भी विषम परिस्थितियों में माँ का अँचल सबसे सुरक्षित स्थान होता है। उसका हृदयस्पर्शी स्नेह और सान्निध्य किसी भी कष्ट या भय को दूर करने में सक्षम होता है। बच्चा अपनी माँ के साथ रहकर ही सुरक्षित अनुभव करता है। माँ उसकी भावनाओं को अच्छी तरह समझती है। माँ की ममता और आत्मीयता की कोई तुलना नहीं होती। यही कारण है कि भोलानाथ संकट के समय अपने पिता के पास न जाकर माँ के पास जाता है। 

(ख) रानी के आने से पहले अखबारों में रानी की पोशाकों के रंग, उन पर होने वाले खर्च, रानी की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे छापने के साथ ही उनके नौकर - नौकरानियों, बावर्चियों, खानसामों की जीवनियाँ यहाँ तक कि शाही महल के कुत्तों की तस्वीरें भी छापी गईं। लेकिन रानी के आगमन पर सब अखबार चुप थे। देश का आत्मसम्मान लूटने वालें की मूर्ति पर जिंदा व्यक्ति की नाक लगाए जाने की घटना अपमानजनक बात थी। शायद इसीलिए सभी अखबार चुप रहकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा नाक लगाए जाने के प्रति अपना आक्रोश प्रकट कर रहे थे ।

(ग) खूब ऊँचाई से गिरते 'सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल ' को देखकर लेखिका मंत्रमुग्ध हो गईं। नीचे बिखरे भारी-भरकम पत्थरों पर बैठकर लेखिका को अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है। झरना उसे अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच दिव्यता एवं जीवन शक्ति का अहसास कराता है। अपने मन की सारी तामसिक वृत्तियाँ लेखिका को उस निर्मल जल धारा में बह जाती सी प्रतीत हुई। उनका वहाँ से उठने का मन भी नहीं किया।

खण्ड 'घ'

11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत - बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए:" [10]

(क) प्लास्टिक मुक्त भारत

• हानियाँ  

• विकल्प क्या हो

•किए जा रहे प्रयास

(ख) आत्मविश्वास और सफलता 

• आत्मविश्वास से तात्पर्य

• आत्मविश्वास सफलता के लिए क्यों आवश्यक

• अहंकार और आत्मविश्वास में अंतर

(ग) मातृभाषा के प्रति अभिरुचि

• मातृभाषा से तात्पर्य

• रुचि कैसे बढ़े

• घटती रुचि के कारण

उत्तर—(क) प्लास्टिक मुक्त भारत

विज्ञान के कई प्रमुख आविष्कारों में से प्रमुख प्लास्टिक आज मानव जीवन के लिए खतरा बन चुका है। 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर, 2019 से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान के तहत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इस अभियान का लक्ष्य 2022 तक एकल प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करके भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। वर्तमान समय में अपने दैनिक जीवन के लगभग हर क्षेत्र में हम दिन की शुरुआत से लेकर सोने तक अनेक प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक बैग बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं, हालांकि इनका निस्तारण एक प्रमुख समस्या बन गया है। प्लास्टिक नॉन बायोडिग्रेडेबल (अजैवनिम्नीकरण) पदार्थ है। अतः यह भूमि एवं जल प्रदूषण का प्रमुख कारण बन गया है। इसे जलाने से वायु प्रदूषित होती है। यह समुद्री जीवों और पशुओं के लिए भी खतरा है। एक अध्ययन से पता चला है। कि एक ही प्लास्टिक बोतल का पानी बार-बार पीने के पानी के लिए उपयोग करने पर उसमें जहरीले पदार्थ घुलने लगते हैं। प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कंपोस्टेबल या बायोडिग्रेडेबल (जैवनिम्नीकरण) सामग्री और समुद्री शैवाल का उपयोग किया जा सकता है। यहाँ तक कि सिलिकॉन को भी एक प्लास्टिक विकल्प के रूप में देखा जाता है।

प्लास्टिक मुक्त भारत की योजना को सफल बनाने के लिए प्लास्टिक के स्थान पर कपड़ा या कागज़ की थैलियों का प्रयोग, धातु के कंटेनर आदि का उपयोग करना चाहिए । सरकार के आग्रह पर पी. डब्ल्यू. डी. और एन.एच.ए.आई. ने सड़क निर्माण के लिए प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने की योजना पर काम प्रारम्भ कर दिया है। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून द्वारा भी प्लास्टिक कचरे से आटोमोटिव ग्रेड डीजल बनाने का काम किया जा रहा है। अगर हम लोग समस्या का कारण हैं तो समाधान भी हमें ही ढूँढना होगा। अपने देश भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा।

(ख) आत्मविश्वास और सफलता

आत्मविश्वास का अभिप्राय है स्वयं पर विश्वास। किसी प्रसिद्ध विचारक ने आत्मविश्वास को सफलता का प्रथम रहस्य बताया है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में आत्मविश्वास होना परम आवश्यक है। यह मानव की वह आत्मिक शक्ति है जिसके बल पर व्यक्ति असंभव को भी संभव कर सकता है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए तब तक प्रयासरत रहता है जब तक उसे सफलता प्राप्त न हो जाए। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि आत्मविश्वास और सफलता एक दूसरे के पर्याय हैं। आत्मविश्वास युक्त व्यक्ति आशावादी होते हैं। वे किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होते। वे असफलता के कारणों को ढूँढकर उनका निदान करके अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं। वे कभी भी दूसरे पर निर्भर नहीं होते। इसी आत्मविश्वास के बल पर महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा को अस्त्र बनाकर स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की विशाल सत्ता से टक्कर ली। इसी गुण के बल पर थॉमस एडिसन, अब्राहम लिंकन, नेपोलियन, हेलेन केलर, मैरी कॉम, सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला जैसे अनगिनत लोगों ने असंभव को संभव कर दिखाया। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए मन की एकाग्रता और सकारात्मक विचारों का होना बहुत जरूरी है। यह हमारे आंतरिक विश्वास को सुदृढ़ करता है, किन्तु हमारे मन में अहंकार का भाव नहीं आने देता। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है उसके मन में यह भाव होता है कि मैं प्रत्येक कार्य कर सकता हूँ और यही भाव उसे उस कार्य में सफलता दिलाता है। आत्मविश्वास के बल पर सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति का सब गुणगान करते हैं अत: यह आवश्यक है कि हम अपने आंतरिक विश्वास को ढूँढें क्योंकि यही हमें हमारे लक्ष्य में सफलता दिला सकता है।

(ग) मातृभाषा के प्रति अभिरुचि

यदि भाषा हमें जोड़ती है तो मातृभाषा हमारी पहचान है। मातृभाषा व्यक्तित्व निर्माण का सशक्त माध्यम है। जन्म लेने के पश्चात् मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। जिस भाषा में माँ बोलती है, विचार करती है वही उस बच्चे की मातृभाषा होगी। सभी संस्कार एवं व्यवहार हम इसी के माध्यम से प्राप्त करते हैं। इसी भाषा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति से जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं।

आज मातृभाषा के प्रति हमारी अभिरुचि समाप्त होती जा रही है। बच्चे अपनी मातृभाषा में गिनती करना भूल गए हैं। एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है, किंतु इसका अभिप्राय यह नहीं है कि हम अपनी मातृभाषा अपनी सांस्कृतिक धरोहर से दूर होते जाएँ। हम जिस राज्य या प्रांत से हैं वहाँ की बोली हमें अवश्य आनी चाहिए। मातृभाषा का ज्ञान न होते हुए भी आज अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करके बच्चे स्वयं को श्रेष्ठ समझने लगते हैं, जो कदापि उचित नहीं है। यही कारण है कि आज गाँव और शहर के बच्चों के बीच में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। अपनी भाषा के सुंदर लोकगीत, दोहे, छंद एवं लोकनृत्य हम भूलते जा रहे हैं।

हमें अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। उसे सहेज कर रखना चाहिए। महात्मा गाँधी ने भी कहा था कि मातृभाषा यदि शिक्षा का माध्यम नहीं होगी तो बच्चे रटने को मजबूर हो जाएँगे जिससे उनकी सृजनात्मकता समाप्त हो जाएगी। मातृभाषा के महत्व को समझते हुए यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की स्वीकृति दी थी। इसी कारण विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। हम सब का यह कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा के महत्व को समझें। उसे सीखने की कोशिश करें उसमें बोलना अपना गौरव समझें तथा उसे विश्व पटल पर गौरवपूर्ण स्थान प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहें ।

12. स्वरचित कविता प्रकाशित करवाने के लिए अनुरोध करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लगभग 80-100 शब्दों में लिखिए। [5]

अथवा

आपके मित्र के पिता सीमा पर शहीद हो गए। अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए मित्र को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।

उत्तर—सेवा में,

संपादक

हिंदुस्तान टाइम्स

नई दिल्ली

विषय - स्वरचित कविता प्रकाशित करवाने हेतु

महोदय,

आप के लोकप्रिय समाचार पत्र की साप्ताहिक पत्रिका में नवोदित रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ। कुछ रचनाएँ बहुत प्रभावी और प्रेरणादायक थीं। मेरी भी अभिरुचि कविता लेखन में रही है। बाल कविताओं के साथ-साथ समसामयिक विषयों पर मैंने कई कविताएँ लिखी हैं। अपने काव्य संग्रह में से पर्यावरण संरक्षण पर लिखी एक कविता मैं इस पत्र के साथ संलग्न कर रही हूँ। आपसे अनुरोध है कि अपने समाचार पत्र में मेरी रचना को स्थान देकर कृतार्थ करें। 

धन्यवाद सहित

निवेदिका

अब स

म. सं. 320 पॉकेट-ए, सेक्टर-3

रोहिणी, नई दिल्ली

दिनांक 22 फरवरी, 20XX

अथवा

सी-312, रोहन तरंग सोसाइटी दिनांक : 23 मार्च, 20XX

पुणे, महाराष्ट्र

प्रिय मित्र राहुल,

मधुर स्नेह,

कल समाचार पत्र में तुम्हारे पिताजी के सीमा पर शहीद हो जाने का शोकपूर्ण समाचार पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया। अभी कुछ समय पूर्व ही जब वे अवकाश पर घर आए थे, तो मेरी भेंट उनसे हुई थी। समाचार पत्र में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में उनके शहीद हो जाने का समाचार पढ़कर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।

प्रिय मित्र ! मैं जानता हूँ कि पिताजी के निधन से तुम्हारे परिवार को अपूर्णनीय क्षति पहुँची है। किंतु ईश्वर के विधान के आगे हम सब विवश हैं। तुम्हें तो गर्व होना चाहिए कि तुम्हारे पिताजी ने वीरतापूर्वक शत्रुओं का सामना करते हुए देश रक्षा में अपने प्राण समर्पित कर दिए। इस दुखद घड़ी में तुम्हें धैर्य से काम लेते हुए अपनी माता जी और छोटे भाई को भी संभालना है।

ईश्वर से प्रार्थना है कि दुख की इस विषय घड़ी में वे तुम्हें और तुम्हारे परिवार को असीम धैर्य और साहस तथा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। मेरे योग्य यदि कोई भी कार्य हो तो नि:संकोच कहना। मैं तुमसे शीघ्र भेंट करूँगा ।

तुम्हारा मित्र अब स।

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